Sunday, January 3, 2016

हजारों जन्म के निरन्तर साधना के बाद तो यह अवस्था आती है जो आप लोगों को आज मिली है।
हजारों मील से यहां आये है , जमीन पर सोते हैं और इतना परिश्रम करते हैं।
यह सौभाग्य हजारों जन्मों के प्रयत्न के बाद मिलता है।
लेकिन आप साधारणरूप से यही समझते होंगे कि दो साल पहले {महाराजजी} मिले होते और उनका लैक्चर { LECTURE } सुना और उसके बाद ये सौभाग्य मिल गया।
यह ठीक है की { महाराजजी } के कारण गाड़ी आगे चली , लेकिन यह बर्तन तो आपके संस्कारों का ही बना हुआ था जिसमें { महाराजजी } के विषय में अधिकार मिला।

………जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।

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