Sunday, December 6, 2015

शरण्य के प्रति जीव की नित्य शरणागति ही साधना है एवं शरणागति द्वारा शरण्य की नित्य सेवा ही जीव का परम-चरम लक्ष्य है।
-------------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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