Thursday, May 21, 2020

नामी का न पाया रस गाया तेरा नामा।
पित्त रोगी को ज्यों मीठा खारा लगे बामा।।
भावार्थः- हे श्रीराधे! यद्यपि मैंने तुम्हारे नाम का अहर्निश गान किया किन्तु नाम में विराजमान नामी का आनन्द मुझे प्राप्त नहीं हुआ। जिस प्रकार पित्त के रोगी को मीठी वस्तु भी खारी प्रतीत होती है उसी प्रकार मुझे तुम्हारे मधुर नाम का रस प्राप्त नहीं हो सका।
(श्यामा श्याम गीत)
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित:-राधा गोविन्द समिति।

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