Thursday, May 21, 2020

श्री कृपालु महाप्रभु चरणानुरागी भक्तवृंद !
हमारे परम पूज्य गुरुवर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने अपनी तीनों भगवत्परायणा सुपुत्रियों के रूप में जो अनमोल त्रिरत्न हमें प्रदान किये हैं, उनकी इस कृपा के लिए समस्त साधक समुदाय श्री महाराज जी का ऋणी है।
क्योंकि आज श्री महाराज जी की प्रत्यक्ष अनुपस्थिति में गुरु भक्ति की आदर्श स्वरुपा, इन्हीं तीनों J.K.P. (जगद्गुरु कृपालु परिषत) की अध्यक्षाओं के संरक्षण में ही सभी साधक पूर्ववत् श्री महाराज जी की दिव्य उपस्थिति का, उनकी कृपाओं का अनुभव करते हुए, गुरुधाम इत्यादि में जाकर गुरुनिर्दिष्ट साधना का पूर्ण लाभ ले रहे हैं ।
और भक्ति त्रिवेणी रूपी तीनों दीदीयों में भी भगवती गंगा स्वरूपा सिरमौर हैं हमारी प्यारी बड़ी दीदी जो भक्तिधाम मनगढ़ की अध्यक्षा हैं, जिनकी प्रत्येक आज्ञा का पालन स्वयं मंझली दीदी ( सुश्री डा. श्यामा त्रिपाठी ) व छोटी दीदी ( सुश्री डा. कृष्णा त्रिपाठी ) भी परम आदरपूर्वक करती हैं ।
देवनदी के समान ही शुभ्रवर्णी बड़ी दीदी अपने उज्ज्वल स्वरुप से हटात् सभी का मन मोह लेती हैं । और सभी साधकों को अपने ममतामयी आँचल की छाया प्रदान करके, प्यार-दुलार देकर गंगा मैया के शीतल सुखद स्पर्श सा ही सुख प्रदान करती हैं । इनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य गुरु सेवा ही है ।
श्री महाराज जी के अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करना, उनकी महिमा को जगत में प्रकाशित करने के लिए नये प्रोजेक्ट्स का निर्माण, विभिन्न साधना शिविरों का आयोजन, येन केन प्रकारेण समस्त साधकों को श्री महाराज जी के सिद्धांतों के अनुकरण हेतु प्रेरित करना, विभिन्न लीलाओं के मंचन, ऑडियो-विडियो इत्यादि के माध्यम से श्री महाराज जी के सिद्धांत ज्ञान का प्रचार करना, हरि-गुरु के विभिन्न विग्रहों एवं झांकियों के निर्माण के माध्यम से साधकों की भगवद्भावना को द्विगुणित करना, विभिन्न पर्वों के माध्यम से श्री महाराज जी की दिव्य उपस्थिति का अनुभव करवाना, श्री महाराज जी द्वारा संचालित समस्त जनकल्याणकारी योजनाओं का विस्तार करना बस यही सब दैवीय कार्य उनकी दिनचर्या के प्रमुख अंग हैं ।
बड़ी दीदी के नाम के अनुरूप ही उनके समस्त कार्य भी बड़े-बड़े होते हैं ।
भगवती भागीरथी रूपी दीदी के भगीरथ प्रयत्नों के लिए अनेक अवार्ड्स भी उन्हें प्राप्त हुए हैं ।
हम सभी परम सौभाग्यशाली हैं जो ऐसी ममतामयी दीदी का सहज सान्निध्य हमें प्राप्त है ।
मैं समस्त साधकों की ओर से उनके चरण कमलों में बारम्बार प्रणाम करती हूँ ।
और समस्त साधकों से निवेदन करती हूँ कि गुरु सेवा का दृढ़ संकल्प लेकर उनके प्रयासों को सार्थक बनायें , यही उनकी अभिलाषा है कि हर साधक का जीवन एकमात्र गुरु सेवा में ही व्यतीत हो, इसी में उनकी सर्वाधिक प्रसन्नता है ।
अतएव आइये अपने मानव जीवन को सफल बनाने के लिए हम सभी श्री महाराज जी के चरणों में यही प्रार्थना करें –
भुक्ति ना दे मुक्ति ना दे वैकुण्ठ ना दे ।
गुरु सेवा में ही मेरा जन्म बिता दे ।।

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