Wednesday, June 6, 2018

हे! दया के सागर। अब मेरी और निहारों और फ़िर जो उचित हो करो,यदि मेरी कमी के कारण मुझे आप नहीं मिल रहे हो तो,फ़िर कमी को इसी क्षण मिटा दो।
-----जगदगुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज।

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