Tuesday, June 26, 2018

#श्यामसुंदर के लिए एक #आँसू बहाने से वो हमारे लिए हज़ार आँसू बहाते हैं ।
काश कि मेरी इस वाणी पर आप विश्वास कर लेते, तो आँसू बहाते न थकते ।
अरे ! इसमें हमारा क्या खर्च होता है ? इसमें क्या कुछ अक्ल लगाना है ? क्या इसके लिए कुछ #साधना करनी है ? क्या इसमें कोई मेहनत है ? क्या यह कोई #जप है ?
आँसू उनको इतने प्रिय हैं और तुम्हारे पास free हैं । क्यों नहीं उनके लिए बहाते हो ?
निर्भय होकर उनसे कहो कि तुम हमारे होकर भी हमें अभी तक क्यों नहीं मिले ? तुम बड़े कृपण हो, बड़े निष्ठुर हो, तुमको ज़रा भी दया नहीं आती ? हमारे होकर भी हमें नहीं मिलते हो । इस अधिकार से आँसू बहाओ । हम पतित हैं, हम अपराधी हैं, तो क्या हुआ ? हम #पतित हैं, तो तुम #पतितपावन हो, फिर अभी तक क्यों नहीं मिले ?
इतना बड़ा अधिकार है तभी तो वह तुम्हारे एक आँसू पर हज़ार आँसू बहाते हैं ।
....... तुम्हारा #कृपालु

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