Friday, December 2, 2016

कामनाओं को छोड़ना का मतलब यही है कि अभी तक जहाँ अटैचमेंट था,
ये सत्त्वगुण, रजोगुण, तमोगुण के व्यक्तियों या वस्तुओं में,उससे अलग हो जाओ।
दुश्मनी नहीं करो, अलग हो जाओ।
बाजार जाते हैं आप लोग? हाँ।गये, कपड़े की दुकान देखा।हाँ। आगे गये, मिठाई की दुकान है।आप चले ही जा रहे हैं, रुकते नहीं कहीं?अरे, हमको जूता लेना है जी! उसके आगे गये, जूते की दुकान आ गई, रुक गये।
हमको अपने अंतःकरण को शुद्ध करना है,अच्छी-अच्छी चीज हम लेंगे।
ये मायिक वस्तु नहीं लेंगे, बस,सीधी-सीधी बात है,हम तो स्वार्थी हैं जी!
हम चावल खा रहे हैं, दाल खा रहे हैं, कंकड़ आ गया।
ये (निकाल फेंका) हम कंकड़ नहीं खाते जी!हम संसार में सब जगह होशियार रहते हैं,बुद्धिमान रहते हैं।
दिन भर टाई ठीक करते रहते हैं हम।स्त्रियाँ अपना आँचल दिनभर ठीक करती रहती हैं। ऐसे ही हमको हमेशा सावधान रहना है,ये साधना का मतलब है।

----- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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