Monday, October 5, 2015

यह सत्य है कि मन अत्यंत चंचल है किन्तु यदि मन को बार बार समझाया जाय कि श्रीराधा ही तेरी हैं ( सांसारिक नातेदार तो केवल शरीर के हैं और उन नातों का आधार केवल स्वार्थ ही है ) तो धीरे धीरे मन संसार से विरक्त होकर श्री राधा में अनुरक्त हो जाएगा |
-------श्री महाराजजी।

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