Monday, May 20, 2019

'स्मरण',एक मिनट तो क्या एक क्षण से शुरू होता है, इसे बढ़ाना ही साधना है। इस एक क्षण के 'स्मरण' को 'मरण' तक बढ़ाते रहना है। यह एक 'क्षण का स्मरण' जब 'एक क्षण को भी विस्मृत न हो' ,यही लक्ष्य की सिद्धि है।

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