Thursday, December 6, 2018


#गुरु की #शरणागति में रहकर उन्हीं की #सेवा करते हुये निरंतर #सत्संग किया जाय, तो #श्रद्धा भी स्वयं उत्पन्न हो जायगी । फ़िर #श्रीकृष्ण में #अनुराग भी स्वयं होने लगेगा । यही क्रम बढते-बढते जब #भक्त्ति परिपूर्ण हो जायगी तो संसार से पूर्ण सहज #वैराग्य स्वयं हो जायगा । इतना ही नहीं अन्य ज्ञानादि सब कुछ अनचाहे ही मिल जायगा । यहाँ तक कि सभी प्राप्तव्य पुरुषार्थों का स्वामी श्रीकृष्ण भी उस #भक्त्त के आधीन हो जायगा । फ़िर #जीव#कृतकृत्य हो जायगा।

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