Tuesday, January 7, 2020

तुम्हारा श्यामसुंदर के बने बिना जीना निरर्थक है। अरे! पेट तो शूकर भी भर लेते हैं। क्या केवल पेट भरना ही जीवन का उद्देश्य है?
..........श्री महाराजजी।

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