Monday, July 29, 2019

अनहोनी होती नहीं, तू क्यों हुआ उदास ।
होनी भी टल जायेगी, रख गुरु में विश्वास ।।
जितने आये कष्ट सब, कर लेना मंजूर।
लेकिन गुरु के द्वार से, कभी न होना दूर ।।
अपने गुरु को छोड़कर, करे किसी की आस ।
निश्चित ही वह शिष्य फिर, करे नरक में वास ।।
बिना गुरु के तर सका, हुआ न कोई शूर।
फैल रहा चारों तरफ, मेरे सदगुरु का नूर ।।
गुरु चरणों में शिष्य के, दुःख कट जाते आप ।
पास न उसके आ सके, जग के तीनों ताप ।।
अपने गुरु से प्रीत जो, करता है निष्काम।
गुरु चरणों में ही बसे, उसके चारों धाम ।।
जितने भी तू कष्ट दे, सब मुझको स्वीकार।
लेकिन गुरु-सेवा विमुख, मत करना करतार ।।
कठिन परीक्षा में कभी, मत छोड़ो विश्वास।
खोट काटने शिष्य का, देते हैं सतगुरु त्रास ।।
श्री सदगुरुदेव भगवान की जय !!!
जगदगुरूत्तम श्री कृपालु जी महाप्रभु की जय।

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