वेदाहमेतं पुरुषं महान्त्मादित्यवर्ण तमसः परस्तात्।
( श्वेता. ३-८ )
इसका रहस्य यह है कि श्रीकृष्ण की बुद्धि से ही श्रीकृष्ण को जाना जा सकता है और वह बुद्धि तभी प्राप्त होगी जब जीव श्रीकृष्ण के शरणापन्न होगा । इसी भाव से गीता कहती है । यथा -
( श्वेता. ३-८ )
इसका रहस्य यह है कि श्रीकृष्ण की बुद्धि से ही श्रीकृष्ण को जाना जा सकता है और वह बुद्धि तभी प्राप्त होगी जब जीव श्रीकृष्ण के शरणापन्न होगा । इसी भाव से गीता कहती है । यथा -
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामु प्यान्ति ते ।।
( गीता १०-१० )
अतः हे बुद्धि देवी ! तुम श्रीकृष्ण की शरण चली जाओ बस - तुम्हारा काम बन जायगा ।
श्रीकृष्ण चरणों में बुद्धि समर्पित करने के पश्चात ही वे अकारण करुण श्रीकृष्ण अपनी कृपा द्वारा दिव्य बुद्धि प्रदान करे देंगे तभी हम उस श्रीकृष्ण बुद्धि से श्रीकृष्ण को जान सकेंगे ।
---- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
( गीता १०-१० )
अतः हे बुद्धि देवी ! तुम श्रीकृष्ण की शरण चली जाओ बस - तुम्हारा काम बन जायगा ।
श्रीकृष्ण चरणों में बुद्धि समर्पित करने के पश्चात ही वे अकारण करुण श्रीकृष्ण अपनी कृपा द्वारा दिव्य बुद्धि प्रदान करे देंगे तभी हम उस श्रीकृष्ण बुद्धि से श्रीकृष्ण को जान सकेंगे ।
---- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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