Monday, June 22, 2015

Out of 8,400,000 varieties of living beings, humans are the only children of God who have been granted the privilege of performing fruit-bearing actions. Since you cannot undo what you have done already, stop crying over destiny and focus instead on the actions you are free to perform in this life, for they will be called your destiny in the future. You have tremendous power. All other creatures, including heavenly gods, envy what you have: the power to create your own destiny.
------Jagadguru Shree Kripalu Ji Maharaj.
SERVICE TO GOD AND GURU:

Service to God and Guru should be the aim of your life; your every wish should be what God and Guru wishes.
God and Guru are one and the same; serving Guru is similar to serving God.
If you are desirous of God’s grace, engage yourself in the service of Guru with your physical, mental and material resources.
Truly blessed is your body, mind and resources if they are dedicated wholeheartedly to the service of God and Guru.
Of all the different levels of disciples, he is topmost who instinctively serves God and Guru without reminder.
....JAGADGURU SHRI KRIPALUJI MAHARAJ.
प्रिय ग्रुप मेम्बर्स.....!!!
आज श्री महाराजजी की कृपा से हमारा ग्रुप 61000+ हो गया है। इसके लिए सभी मेम्बर्स बधाई के पात्र हैं। इस ग्रुप को यहाँ तक पहुंचाने में जिन दो साधकों का विशेष योगदान रहा है वो मेरी अनुजा 'प्राची गुप्ता ' एवं मेरे अनुज 'मानिंदर सिंह' हैं। इन दोनों के अथक प्रयास से आज हम यहाँ तक पहुँच गये हैं...अगला लक्ष्य शीघ्र ही 75000+ मेम्बर्स जोड़ने का है। आप सभी से विनती है कि आप भी अपने इष्ट मित्रों को इस ग्रुप से अवश्य जोड़ें जिससे श्री महाराजजी की divine philosophy सभी को पढ़ने का अवसर प्राप्त हो सके। अगर हमारे जरा से प्रयास से एक भी साधक श्री गुरुदेव से जुड़ता है उनको समझना शुरू कर देता है तो तो ये आपकी तरफ से सबसे बड़ी सेवा होगी। आशा है आप सभी बहन भाइयों का प्यार ऐसे ही मिलता रहेगा।
जय श्री राधे।
The entire human kind is surrounded by various questions which are devoid of caste and creed, engulf both rich and poor, are associated with day to day life and daily routines,ponder our queries about happiness,satisfaction and prosperity,aims and objectives in our life.Despite of rigorous introspection and analysis, the answers are nowhere in sight.Can we see through them and find an answer to our ever-pondering questions about peace,satisfaction,happiness to lead a prosperous life.
Yes the answers to all your questions is an inherent part of wellwishing life empowering discourses by His Lordship Jagadguru Shree Kripaluji Maharaj. Watch their pravachans and His Lordship will empower your life and guide you to lead a prosperous,peaceful and happy life.
His Lordship Jagadguru Shree Kripaluji Maharaj is only the 5th to hold the coverted honour of Jagadguru. His lordship’s Scholastic authority,Spiritual prowess,Divine Knowledge and magnetic oratory are mesmerizing.Millions of people were benefited by the virtue of Sadhana and guidance of his Lordship. His empowering personality and soothing guidance can steer your life towards your aims of leading a peaceful,prosperous and satisfactory life.
आज श्री महाराजजी की कृपा से हमारा ग्रुप 51000+ हो गया है। इसके लिए सभी मेम्बर्स बधाई के पात्र हैं। इस ग्रुप को यहाँ तक पहुंचाने में जिन दो साधकों का विशेष योगदान रहा है वो मेरी अनुजा 'प्राची गुप्ता ' एवं मेरे अनुज 'मानिंदर सिंह' हैं। इन दोनों के अथक प्रयास से आज हम यहाँ तक पहुँच गये हैं...अगला लक्ष्य शीघ्र ही 75000+ मेम्बर्स जोड़ने का है। आप सभी से विनती है कि आप भी अपने इष्ट मित्रों को इस ग्रुप से अवश्य जोड़ें जिससे श्री महाराजजी की divine philosophy सभी को पढ़ने का अवसर प्राप्त हो सके। अगर हमारे जरा से प्रयास से एक भी साधक श्री गुरुदेव से जुड़ता है उनको समझना शुरू कर देता है तो तो ये आपकी तरफ से सबसे बड़ी सेवा होगी। आशा है आप सभी बहन भाइयों का प्यार ऐसे ही मिलता रहेगा।
जय श्री राधे।
भक्ति में अनन्यता परमावश्यक है। हमारे मन की आसक्ति 'भक्ति', 'भक्त', 'भगवान' के अतिरिक्त और कहीं नहीं होनी चाहिए।
------श्री कृपालु महाप्रभु।

Sunday, June 14, 2015

सदा ये ध्यान रखो कि हरि-गुरु सदा मुझे एवं मेरे संकल्पों को देख रहे हैं। बस फिर न लापरवाही ही आयेगी न विस्मरण ही होगा।
........श्री महाराज जी।
अंत:करण शुद्ध होने पर गुरुकृपा से स्वरूप शक्ति मिलेगी । तब माया निवृत्ति एवं भगवत्प्राप्ति होगी । तभी भगवत्सेवा रूपी चरम लक्ष्य प्राप्त होगा ।
------ श्री महाराजजी ।
श्री महाराज जी अपने सम्पूर्ण साहित्य एवं प्रवचन द्वारा पुनः - पुनः यही सिद्धान्त जीवों के मस्तिष्क में भर रहें हैं। उनके मतानुसार ब्रह्म जीव माया तीन तत्व सनातन हैं , किन्तु जीव एवं माया दोनों ही ब्रह्म की शक्ति हैं। ब्रह्म श्री राधाकृष्ण का दिव्य प्रेम प्राप्त करना साध्य एवं उनकी ही निष्काम भक्ति करना ही साधना है।

The world will not give you anything unless there is self-interest involved. However, God and your Guru bestow the nectar of divine love without any self-interest.
------SHRI MAHARAJJI.

Saturday, June 6, 2015

Let's practice feeling deep gratitude towards God for all the Graces we have received from Him. "Thank you God for your infinite compassion" As we progress in our appreciation of all the Graces He bestows upon us, we will automatically enhance love for God in our hearts.
............SHRI MAHARAJJI.

हम पतितों की प्राण हैं राधे, जीवनधन अरमान हैं राधे।
स्वामिनी कर दो दया की दृष्टि, दिन रात हम तुमहें ही आराधे ।।
अगर कोई सोचता है- मैं अभागा हूँ। यह भगवान अथवा गुरु के प्रति सबसे बड़ी अकृतज्ञता है। कोई समर्थ गुरु मिल गया तो। भगवान की कृपा की तो यह अंतिम सीमा हो गयी।
------श्री महाराजजी।
सारा खेल मन के चिन्तन और बुद्धि के डिसीजन (decision) पर है। मनुष्य जो चाहे बन सकता है- देव, दानव, या महापुरुष।
.......जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
True surrender is to join your mind with the Divine Spiritual Master by obeying his instructions without any questions or hesitation.
-----SHRI MAHARAJJI.

SATSANG AND KEERTAN BY SHREEDHARI DIDI(PREACHER OF
JAGADGURU SHRI KRIPALUJI MAHARAJ):

ADDRESS OF SATSANG CENTRE AT JAIPUR:
SATSANG BHAWAN(PARWAL HALL) ,NEAR MAHESH PARK,MAHESH COLONY,J.P.UNDERPASS....TONK FATAK,JAIPUR.

EVERY SUNDAY: 10A.M. TO 12 P.M.
CONTACT:9928425799.

ये मन बहुत चंचल है लेकिन अभ्यास और वैराग्य से मन पर कंट्रोल अनन्त जीवों ने किया है कर रहे हैं करेंगे।
-----जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
भक्ति का मुख्य फल गोविंद राधे ।
दिव्य प्रेम युक्त कृष्ण सेवा बता दे ।।


राधा गोविंद गीत।
------- जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज ।

अगर कोई गलती हमसे हुई भी है तो भविष्य में अब गलती न करें , ये प्रतिज्ञापूर्वक चिंतन के द्वारा ठीक कर लें। तो ये प्राप्त कृपाओं का बार -बार चिंतन करना ही निराशा से बचने का इलाज है।
----श्री महाराजजी।
"छोटी काशी, जयपुर (गुलाबी नगरी) ,राजस्थान" में त्रि-दिवसीय भक्तियोग साधना शिविर का आयोजन।
इस युग के परमाचार्य पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की असीम अनुकम्पा से उनकी प्रचारिका सुश्री श्रीधरी जी द्वारा 'जगद्गुरु कृपालु परिषत' की तीनों अध्यक्षाओं परमपूज्या सुश्री डॉ.विशाखा त्रिपाठी(बड़ी दीदी),सुश्री डॉ.श्यामा त्रिपाठी(मझली दीदी),सुश्री डॉ.कृष्णा त्रिपाठी(छोटी दीदी) के पावन सानिध्य में गुलाबी नगरी जयपुर में तीन दिवसीय भक्तियोग साधना शिविर का आयोजन।
दिनाँक: 10 जुलाई से 12 जुलाई,2015
नोट: इस साधना शिविर में रजिस्ट्रेशन हेतु कृपया 'sharadgupta40@yahoo.com' पर ई-मेल करें या अन्य जानकारी हेतु मेरे inbox में भी सम्पर्क कर सकते हैं। शिविर में भाग लेने हेतु रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 20 जून,2015 है।