Monday, November 5, 2018

भगवान जरा अटपटे स्वभाव के हैं । छिप-छिप कर देखते हैं एवं अब तुम जरा सा असावधान होकर संसारी वस्तु की आसक्ति मे बह जाते हो तब श्यामसुंदर को वेदना होती है कि यह मुझे अपना मान कर भी गलत काम कर रहा है । मन श्यामसुंदर को दे देने के पश्चात ! उसमें संसारिक चाह न लाना चाहिए । यह श्यामसुंदर के लिए कष्टप्रद है ।
जीवन क्षणभंगुर है, अपने जीवन का क्षण-क्षण हरि-गुरु के स्मरण में ही व्यतीत करो, अनावश्यक बातें करके समय बरबाद न करो। कुसंग से बचो, कम से कम लोगों से संबंध रखो, काम जितना जरूरी हो बस उतना बोलो।

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