Saturday, April 14, 2018

साधक के जीवन में मुख्य चीज एटमास्फ़ियर है।
साधक कुछ प्रयत्न करके ही आगे बढ़ता है,फ़िर प्रयत्न में ढिलाई कर देता है।
इससे व्यवधान आ जाता है जिससे साधक आगे नहीं बढ़ पाता।
जिन्दा तो वह रहता है किन्तु आगे बढ़ने की शक्ति उपार्जित नहीं कर पाता।
जैसे बीज पर पानी डाला और बंद कर दिया, जब सूखने लगा तो थोडा पानी फ़िर डाल दिया।
इससे वह सूखा तो नहीं लेकिन बढ़ा भी नहीं।
अतः निरन्तर और अटूट प्रयत्न की आवश्यकता है।
उसी का महत्त्व है।
--- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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