Monday, March 12, 2018

यह ध्यान रहे कि जब तक मन ईश्वर के अतिरिक्त अन्यत्र कहीं भी राग या द्वेष युक्त (आसक्त) रहेगा,तब तक ईश्वर-शरणागति असम्भव है।
----जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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