Wednesday, October 11, 2017

श्री महाराजजी से प्रश्न:
साधना में ऐसा कौन सा सिद्धान्त प्रमुख है जिससे साधक जल्दी आगे बढ़ सकता है भगवान की तरफ? क्या सेवा अच्छी है या भजन कीर्तन?

श्री महाराजजी द्वारा उत्तर:
सेवा तो अंतिम लक्ष्य है ही है। इसमें सारी इंद्रियाँ लगी रहती है। और भजन कीर्तन तो केवल मन से होता है। और भजन कीर्तन जो है उसके लिए एकांत में,अलग समय चाहिए। और सेवा तो संसार का कर्म करते हुए भी हम 24 घंटे कर सकते हैं। इसलिए सेवा का अधिक महत्व है। सेवा हरी-गुरु निमित्त हो ,शर्त ये है।

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