Thursday, July 16, 2015

BY THE GRACE OF SHRI MAHARAJJI......WEBSITE OF SUSHRI SHREEDHARI DIDI(Preacher of Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj & Chairperson of Radhagovind Public Charitable Trust,Jaipur) TO BE LAUNCHED ON 9th JULY,2015.
URL OF THIS WEBSITE ARE: Shreedharididi.in & RGPCT.org
RADHEY-RADHEY.

वे हमारी रक्षा करते हैं, वे हमारी रक्षा कर रहे हैं, वे आगे भी हमारी रक्षा करेंगे, इस पर विश्वास कर लो।
------श्री कृपालु महाप्रभु ।

अनंत जन्मों से हम गंदगी खा रहे हैं ,विष पीने का इतना अधिक अभ्यास पड़ गया है कि अमृत पीना अच्छा नहीं लगता।
..........श्री महाराजजी।

"श्री महाराजजी बताते हैं कि: तीन चीज़ प्रमुख है- 'हरि', 'गुरु' और 'हरि-गुरु' की मिलन वाली पावर, 'भक्ति'। इन तीनों में 'अनन्य' रहो।"

O MY BELOVED,Everyone in the world,big or small,is a beggar,looking for material benefit and worldly love.It is only you,O Ocean of Love, who is the Giver of Divine Love.

Thursday, July 2, 2015

आप लोग शायद नहीं जानते आपके ह्रदय में भगवान् नित्य रहते हैं , लेकिन कोई फायदा नहीं । सुनते हैं रहते हैं , रहते हैं सब आइडियाज (ideas) नोट करते हैं। हाँ मानते नहीं। अगर मान लें तो पाप कैसे करें ?
अगर मान लें कि वो हमारे ह्रदय में हैं तो हम प्राइवेसी (privacy) जो रखते हैं अपनी , अपनी बीबी के खिलाफ सोच रहे हैं उसके बगल में बैठ कर , अपने ही बाप के खिलाफ सोच रहे हैं उसके ही पास में बैठ कर , अपने ही गुरु के खिलाफ भी सोचने लगते हैं , उन्ही के सामने बैठ कर के । और तो और भगवान् को भी नहीं छोड़ते । ये क्या भगवान् भगवान् भगवान् लगा रखा था। उसके नौ बच्चे थे दसवाँ हुआ है आज । हमारे एक बच्चा था मर गया । क्या भगवान् का न्याय है तुम्हारे। इसमें भगवान् क्या करें भाई ?
ये तो तुम्हारे कर्म के हिसाब से फल मिलता है। लेकिन अल्पज्ञ जीव अपनी अल्पज्ञता का स्वरूप दिखा देता है ।
----------जगद्गुरु श्रीकृपालु जी महाप्रभु।
हम पतितों की प्राण हैं राधे, जीवनधन अरमान हैं राधे।
स्वामिनी कर दो दया की दृष्टि, दिन रात हम तुम्हें ही आराधे ।।
दो बातों को बहुत सावधानी से सदा और एक साथ ध्यान में रखना है कि भगवान का सदा सर्वत्र स्मरण हो और एक क्षण का उधार न हो। अगला क्षण मिले न मिले। अगर हम मानव देह की क्षणभंगुरता पर सदा ध्यान केन्द्रित रखें तो लापरवाही नहीं करेंगे। सावधान रहेंगे।
......श्री महाराजजी।
साधक के लिये अनिवार्य है कि वह अपना मन हरि गुरु में ही सदा लगाये रखे।
.........श्री महाराजजी।

Don’t be lazy and careless. You already know what is the goal of your life and How you can attain it? Why are you wasting your life by being so careless? You were more careful as a student to pass the material exam to get a material degree?
What about the soul and the exam of life? Why do you pay no heed to spiritual progress and Sadhana? Take the exam of life seriously at least in this life. You have been failing this exam since eternity, at least make a true attempt to pass in in this life time. Once you are God-realized you will be freed from all the other exams that you have been passing even though you may have to give it.
..........SHRI MAHARAJJI.