आप
लोग शायद नहीं जानते आपके ह्रदय में भगवान् नित्य रहते हैं , लेकिन कोई
फायदा नहीं । सुनते हैं रहते हैं , रहते हैं सब आइडियाज (ideas) नोट करते
हैं। हाँ मानते नहीं। अगर मान लें तो पाप कैसे करें ?
अगर मान लें कि
वो हमारे ह्रदय में हैं तो हम प्राइवेसी (privacy) जो रखते हैं अपनी , अपनी
बीबी के खिलाफ सोच रहे हैं उसके बगल में बैठ कर , अपने ही बाप के खिलाफ
सोच रहे हैं उसके ही पास में बैठ कर , अपने ही गुरु के खिलाफ भी सोचने लगते
हैं , उन्ही के सामने बैठ कर के । और तो और भगवान् को भी नहीं छोड़ते । ये
क्या भगवान् भगवान् भगवान् लगा रखा था। उसके नौ बच्चे थे दसवाँ हुआ है आज ।
हमारे एक बच्चा था मर गया । क्या भगवान् का न्याय है तुम्हारे। इसमें
भगवान् क्या करें भाई ?
ये तो तुम्हारे कर्म के हिसाब से फल मिलता है। लेकिन अल्पज्ञ जीव अपनी अल्पज्ञता का स्वरूप दिखा देता है ।
----------जगद्गुरु श्रीकृपालु जी महाप्रभु।