तुम
लोगों के अंदर में ऐसा बैठ गया हूँ कि तुम लोग कितना ही प्रयत्न करो,घूम
फिर कर आओगे यहीं । फिर बेकार चिंतन क्यो करते हो ? अगर तुम कहो कि आप अंदर
बैठे हैं ,दीखते तो नहीं ? बाहरी दृष्टि में आना बहुत छोटी चीज है किन्तु
अंदर बैठ जाना बहुत बड़ी बात है। यह आवश्यक नहीं कि जो माँ अपने बच्चे को
बहुत प्यार करती हो और बच्चा उसे प्रतिक्षण देखता हो।
------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
No comments:
Post a Comment