साधक
को भगवान से विमुख करने वाला सबसे महान शत्रु कुसंग ही है। साधक को इसलिये
साधना से भी अधिक दृष्टिकोण कुसंग से बचने पर रखना चाहिये। भगवननाम
संकीर्तन रूपी औषधि के साथ-साथ कुसंग रूपी कुपथ्य से परहेज भी करते रहें तो
रोग ठीक हो जायेगा और हम अपने परमचरम लक्ष्य तक पहुँच पायेंगे।
------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
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