कभी
यह ना सोचो कि कृपा की कमी है। कमी जो है वह हममे ही है। महापुरुष शरणागत
के लिये क्या-क्या भगीरथ प्रयत्न करता है, यह तो भगवतप्राप्ति होने पर ही
साधक को समझ में आ सकता है। सब लोग कमरा बंद करके सोचे तो पायेंगे कि मेरा
कितना कायापलट हो गया? में कहाँ जा रहा था,कहाँ लाकर खड़ा कर दिया
'महाराजजी' ने?
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