Wednesday, April 22, 2020

गुरु रुचि महँ रुचि राखो गुरुधामा।
चाहो जनि भुक्ति मुक्ति वैकुण्ठ बामा।।
भावार्थः- गुरुधाम में वास करते समय प्रतिक्षण गुरु की रुचि में रुचि रखने का अभ्यास करना चाहिये। यहाँ तक कि ब्रह्मलोक पर्यन्त के ऐश्वर्य भोग, मुक्ति की कामना एवं बैकुण्ठ लोक के सुख की भी इच्छा साधक के मन में भूलकर भी नहीं आनी चाहिये।
(श्यामा श्याम गीत)
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित:-राधा गोविन्द समिति।

No comments:

Post a Comment