भगवान् का कोई स्वरूप हो, किसी भी प्रकार से उपासना की जाय, लक्ष्य एक ही है- श्रीकृष्ण प्रेम। अज्ञानता के कारण प्रचलित विभिन्न वाद-विवादों का कितनी सरलता से समाधान करते हैं गुरुवर, समस्त शंकायें दूर हो जाती हैं । केवल श्री राधाकृष्ण निष्काम प्रेम की कामना शेष रह जाती है । दुर्गा जी, हनुमान जी, शंकर जी, सभी का सम्मान करते हुये, सबसे श्रीकृष्ण प्रेम की भिक्षा माँगना- यही उनका दिव्य संदेश है।
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