Wednesday, April 29, 2020

गुरुशरणागति गोविंद राधे।
श्यामा श्याम भक्ति मन शुद्ध करा दे।।
भावार्थ:- सद्गुरु की शरणागति में रह कर जो जीव श्यामा श्याम की भक्ति करते हैं, उनका अन्त:करण शुद्ध हो जाता है।
गंगा जल शुद्ध जल गोविंद राधे।
गंगा में मिले जो जल गंगा बना दे।।
भावार्थ :- यदि गंगा में अपवित्र जल भी मिल जाता है तो गंगा उस अपवित्र जल को स्वयं में मिला कर गंगा जल ही बना देती है।
हरि गुरु गंगा सम गोविंद राधे।
उनमें ही एक हो जा गंगा बना दे।।
भावार्थ:- हरि-गुरु गंगा जल के समान है। तू अपने मन को उनमें लगा दे। तू भी गंगा जल बन जायेगा।

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