युगलकिशोर कृपाकांक्षी भक्तवृन्द !
सप्रेम राधे राधे ।
सप्रेम राधे राधे ।
दिव्य श्री वृन्दावन धाम में विहार करने वाले युगल किशोर श्री श्यामा श्याम समस्त अवतारों के अवतारी हैं। वे अपने दिव्य चिन्मय युगल रूप से नित्य नवीन लीलायें करके भक्तों को रिझाया करते हैं।पीताम्बरधारी मुरलीमनोहर श्यामसुंदर और नीलम्बरधारिणी नथवारी किशोरी जी की गलबाँहीं झाँकी का दर्शन करने के लिए ब्रह्मा,विष्णु,शंकर सभी लालायित रहते हैं। युगल नवल सरकार की
बाँकी छवि के दर्शन करके बड़े-बड़े परमहंस अपनी समाधि भूल जाते हैं ।
नटवर नागर नंदकुमार का सुंदर सजीला नट वेष और वृषभानुनन्दिनी राधिका जी की सोरह श्रृंगार युक्त अनुपम रूप-माधुरी का दर्शन करके त्रिभुवन में भला ऐसा कौन है जो मोहित न हो ? प्रेम-रूप-रस की खान
गौर श्याम सरकार के दर्शन करके ब्रजगोपियाँ उनपर प्राण न्यौंछावर करती हैं।
हमारी ठकुरानी श्री राधारानी एवं ठाकुर नंदकिशोर रसिकों के सिरमौर हैं जो नित्य नवीन निकुंजों में विहार करते हुए प्रेम - रस की वृष्टि करते रहते हैं। धन्यातिधन्य
हैं वे ब्रजगोपियाँ जो प्रतिक्षण इस अनुपम युगल जोड़ी को प्रेमपूर्वक निहारा करती हैं। जिसने सदा-सदा के लिए प्रिया प्रियतम को अपना मान लिया उसके लिए धर्म , अर्थ, काम, मोक्ष सुख नगण्य हो जाते हैं। ऐसे त्रिभुवन मोहन लाड़ली लाल की बारम्बार बलिहारी है ।
बाँकी छवि के दर्शन करके बड़े-बड़े परमहंस अपनी समाधि भूल जाते हैं ।
नटवर नागर नंदकुमार का सुंदर सजीला नट वेष और वृषभानुनन्दिनी राधिका जी की सोरह श्रृंगार युक्त अनुपम रूप-माधुरी का दर्शन करके त्रिभुवन में भला ऐसा कौन है जो मोहित न हो ? प्रेम-रूप-रस की खान
गौर श्याम सरकार के दर्शन करके ब्रजगोपियाँ उनपर प्राण न्यौंछावर करती हैं।
हमारी ठकुरानी श्री राधारानी एवं ठाकुर नंदकिशोर रसिकों के सिरमौर हैं जो नित्य नवीन निकुंजों में विहार करते हुए प्रेम - रस की वृष्टि करते रहते हैं। धन्यातिधन्य
हैं वे ब्रजगोपियाँ जो प्रतिक्षण इस अनुपम युगल जोड़ी को प्रेमपूर्वक निहारा करती हैं। जिसने सदा-सदा के लिए प्रिया प्रियतम को अपना मान लिया उसके लिए धर्म , अर्थ, काम, मोक्ष सुख नगण्य हो जाते हैं। ऐसे त्रिभुवन मोहन लाड़ली लाल की बारम्बार बलिहारी है ।
हमारे परम पूज्य गुरुवर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज कहते हैं -
रस की बनाओ शीशी प्रेम निष्कामा ।
गौर श्याम रस भरो पियो आठु यामा ।।
गौर श्याम रस भरो पियो आठु यामा ।।
अर्थात् निष्काम प्रेम रस की शीशी बनाकर उसमें गौर (श्री राधा) श्याम (श्री कृष्ण) रस भरकर आठों याम इसी युगल रस का पान करो क्योंकि भवरोगियों के लिए यही एकमात्र रसायन है ।
हे युगल सरकार ! एक बार हमारी ओर दृष्टिपात् करके हमें भी कृतार्थ कर दीजिये । इसी कृपायाचना के साथ-
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