एक साधक का श्री महाराजजी से प्रश्न - जगत् की कामनाओं को ईश्वरीय कामनाओं में कैसे बदलें ?
श्री महाराजजी द्वारा उत्तर - कामनायें प्रमुख रूप से पाँच प्रकार की होती हैं । पाँचों ज्ञानेन्द्रियों की कामनायें ― कान का शब्द, आँख का रूप, नासिका की गन्ध ,रसना का रस और त्वचा का स्पर्श ― तो ये पाँचो कामनायें यदि जगत् सम्बन्धी हैं, संसार सम्बन्धी हैं तो संसार से अटैचमेन्ट बढ़ेगा । इससे मन और गन्दा होगा तथा भक्ति में ये बाधक हैं । अगर यही पाँच कामनायें श्री कृष्ण सम्बन्धी हो जायें । उनके देखने की इच्छा, उनके शब्द सुनने की इच्छा, उनके स्पर्श पाने की इच्छा हो तो अन्त:करण शुद्ध होगा क्योंकि भगवान् शुद्ध को भी शुद्ध करने वाला परम शुद्ध है । बार बार भगवान् के नाम, रूप, लीला, गुण, धाम, जन का संकीर्तन करने से जगत् की कामनायें ईश्वरीय कामना में बदल जायेंगी ।
राधे - राधे ।
श्री महाराजजी द्वारा उत्तर - कामनायें प्रमुख रूप से पाँच प्रकार की होती हैं । पाँचों ज्ञानेन्द्रियों की कामनायें ― कान का शब्द, आँख का रूप, नासिका की गन्ध ,रसना का रस और त्वचा का स्पर्श ― तो ये पाँचो कामनायें यदि जगत् सम्बन्धी हैं, संसार सम्बन्धी हैं तो संसार से अटैचमेन्ट बढ़ेगा । इससे मन और गन्दा होगा तथा भक्ति में ये बाधक हैं । अगर यही पाँच कामनायें श्री कृष्ण सम्बन्धी हो जायें । उनके देखने की इच्छा, उनके शब्द सुनने की इच्छा, उनके स्पर्श पाने की इच्छा हो तो अन्त:करण शुद्ध होगा क्योंकि भगवान् शुद्ध को भी शुद्ध करने वाला परम शुद्ध है । बार बार भगवान् के नाम, रूप, लीला, गुण, धाम, जन का संकीर्तन करने से जगत् की कामनायें ईश्वरीय कामना में बदल जायेंगी ।
राधे - राधे ।
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