एक
बार बरसाने में महाराजजी के शरीर में खासतौर से उनके दाहिने पैर में असह्य
पीड़ा बनी रही। एक साधक ने निवेदन किया कि महाराजजी यदि अनुमति हो तो आपके
अनगिनत चाहने वाले आपके सत्संगी अनुयायी भक्तगण आपका कष्ट थोड़ा थोड़ा करके
बाँट ले तो आपके शरीर का कष्ट कुछ कम हो जायगा?
श्री महाराजजी बोले: ना समझ! तुम्हारे सबके अनंत जन्मों के प्रारब्ध का कष्ट मैं स्वयं लेकर काटता रहता हूँ। तुम लोग मेरा कष्ट क्या काटोगे।
श्री महाराजजी बोले: ना समझ! तुम्हारे सबके अनंत जन्मों के प्रारब्ध का कष्ट मैं स्वयं लेकर काटता रहता हूँ। तुम लोग मेरा कष्ट क्या काटोगे।
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