भक्त के लिये भगवान का प्राण समर्पित है।
GOD IS READY TO DO ANYTHING AND EVERYTHING FOR A TRULY SURRENDERED DEVOTEE.
मनगढ़ मन मोहन का गढ़, कान्हा की मुस्कान यहाँ।
मस्ती के कुंज घने बहुतेरे, राधे नाम की छाव यहाँ।।
GOD IS READY TO DO ANYTHING AND EVERYTHING FOR A TRULY SURRENDERED DEVOTEE.
मनगढ़ मन मोहन का गढ़, कान्हा की मुस्कान यहाँ।
मस्ती के कुंज घने बहुतेरे, राधे नाम की छाव यहाँ।।
अरे मन ! तू मेरो मत मान |
‘अनन्य चेता: सततं यो मां’, गुन येहि गीता-ज्ञान |
तन,मन,प्राण समर्पण करि जो, कर नित हरि को ध्यान |
ताको हरि अति सुलभ जान मन, रह न कामना आन |
तर्क, वितर्क, कुतर्क आदि की, तजि दे अपनी बान |
... रहु ‘कृपालु’ सद्गुरु शरणागति, करु गोविँद गुनगान ||
भावार्थ- अरे मन ! तू मेरे सिद्धान्त को मान ले | ‘अनन्य चेता:’ इस गीता महावाक्य का यही अभिप्राय है कि जो तन, मन, प्राण समर्पण करके श्यामसुन्दर का निरन्तर स्मरण करता है, वे उसके लिये सुलभ हैं, किन्तु अन्य कामनायें नहीं रहनी चाहिये | हे मन ! तू तर्क, वितर्क आदि करने की अपनी आदत छोड़ दे | ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि अपने गुरु की शरण में रहकर गोविन्द गुण गाओ |
(प्रेम रस मदिरा सिद्धान्त-माधुरी)
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति.
‘अनन्य चेता: सततं यो मां’, गुन येहि गीता-ज्ञान |
तन,मन,प्राण समर्पण करि जो, कर नित हरि को ध्यान |
ताको हरि अति सुलभ जान मन, रह न कामना आन |
तर्क, वितर्क, कुतर्क आदि की, तजि दे अपनी बान |
... रहु ‘कृपालु’ सद्गुरु शरणागति, करु गोविँद गुनगान ||
भावार्थ- अरे मन ! तू मेरे सिद्धान्त को मान ले | ‘अनन्य चेता:’ इस गीता महावाक्य का यही अभिप्राय है कि जो तन, मन, प्राण समर्पण करके श्यामसुन्दर का निरन्तर स्मरण करता है, वे उसके लिये सुलभ हैं, किन्तु अन्य कामनायें नहीं रहनी चाहिये | हे मन ! तू तर्क, वितर्क आदि करने की अपनी आदत छोड़ दे | ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि अपने गुरु की शरण में रहकर गोविन्द गुण गाओ |
(प्रेम रस मदिरा सिद्धान्त-माधुरी)
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति.
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