श्यामा श्याम की प्राप्ति गुरु द्वारा ही होगी। अतएव गुरु की शरणागति निरंतर बनी रहे, तदर्थ निरंतर अनुकूल भाव से ही अनुसरण करना है तथा सदा यही सोचना है कि वे ही हमारे हैं। शेष सभी सफर के यात्री मिलन के समान हैं।
------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
हरि-गुरु चिन्तन साधना, साध्य प्रेम निष्काम।
दिव्य दरस की प्यास नित, बाढ़े आठों याम।।
-----श्री महाराजजी।
चिन्तन में ही सारी शक्ति है। चिंतन से ही कोई जीव अपने आपको ऊपर उठा सकता है और चाहे तो नीचे भी गिरा सकता है।
------जगद्गुरु श्रीकृपालुजी महाराज।
------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
हरि-गुरु चिन्तन साधना, साध्य प्रेम निष्काम।
दिव्य दरस की प्यास नित, बाढ़े आठों याम।।
-----श्री महाराजजी।
चिन्तन में ही सारी शक्ति है। चिंतन से ही कोई जीव अपने आपको ऊपर उठा सकता है और चाहे तो नीचे भी गिरा सकता है।
------जगद्गुरु श्रीकृपालुजी महाराज।
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