Saturday, October 29, 2011

सारा काम चिंतन का है और कुछ है ही नहीं विश्व में। अधिक चिंतन जिस चीज का करोगे वैसे ही बन जाओगे। अच्छाई का चिंतन करो अच्छे बन जाओगे, बुराई का चिंतन कुछ दिन करो, कितने भी अच्छे हो,जरूर बुरे बन जाओगे।
चिंतन की लिंक के अनुसार उत्थान पतन दोनों संभव है। इसलिए मन को खाली मत रखो, गलत सँग में मत डालो। गलत व्यक्तियों से न बात करो, न उनकी सुनो, और कहीं कान में पड़ जाये तो उसको ऐसे फेंक दो जैसे कंकड़ को खाना खाते समय फेंक देते हैं। चिंतन में अनंत शक्ति है, राक्षस बना दे, महापुरुष बना दे।

------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाप्रभु।







सद्गुरु के पास किसी को इंकार नहीं है। जो डूबने को राजी है सद्गुरु उसे लेने को तैयार है। वह शर्ते नहीं रखता। वह पात्रताओं के जाल खडे नहीं करता। अपात्र को पात्र बना ले, वही तो सद्गुरु है। अयोग्य को योग्य बना ले वही तो सद्गुरु है। संसारी को सन्यासी बना ले, वही तो सद्गुरु है।

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