अन्दर
न जाने दें गन्दी चीज़। अन्दर तो केवल भगवान् , उनका नाम , उनका गुण ,
उनका रूप , उनकी लीला , उनका धाम , उनके संत बस इतने हमारे अंतःकरण में
जायें। बाकी को बाहर रखें। चारों ऒर बिठा लो अपने कोई बात नहीं। अन्दर न
जाने दो। नहीं तो वैसे ही मन गन्दा है और हो जायेगा। परत की परत मैल जम
जायेगी उसमें। यानी प्यार भगवान् के क्षेत्र में ही हो। व्यवहार संसार भर
में हो।
........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।
........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।
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