श्री महाराजजी (जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाप्रभु) के मुखारविंद से:-
साधना में सबसे बड़ा अवरोधक है अहंकार ,आपस में ईर्ष्या, द्वेष जो हमको भगवदीय मार्ग में आगे नहीं बढ्ने देता। हमें तो विनम्रता, दीनता, सहिष्णुता का पाठ सदा याद रखना चाहिये। ये गुण जिस दिन आप में आ जायेंगे उस दिन आपका अंत:करण शुद्ध होने लगेगा और गुरु कृपा से हरि गुरु आपके अंत:करण में बैठ कर आपका योगक्षेम वहन करने लगेंगे।
साधना में सबसे बड़ा अवरोधक है अहंकार ,आपस में ईर्ष्या, द्वेष जो हमको भगवदीय मार्ग में आगे नहीं बढ्ने देता। हमें तो विनम्रता, दीनता, सहिष्णुता का पाठ सदा याद रखना चाहिये। ये गुण जिस दिन आप में आ जायेंगे उस दिन आपका अंत:करण शुद्ध होने लगेगा और गुरु कृपा से हरि गुरु आपके अंत:करण में बैठ कर आपका योगक्षेम वहन करने लगेंगे।
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