भगवान् के अतिरिक्त्त जो बचे, उनमें एक तो भगवान् के स्वांश हैं, एक विभिन्नांश । भगवान् के समस्त अवतार स्वांश हैं, अर्थात् भगवान् ही हैं, ये सब स्वरुप शक्त्ति के नियन्ता (GOVERNOR) हैं। विभिन्नांश अर्थात् भगवान् की तटस्था शक्त्ति के जो अंश हैं वो विभिन्नांश कहलाते हैं।विभिन्नांश में एक नित्य मुक्त(ललीता,विशाखादि) दुसरे साधन मुक्त (तुलसी,सुर,मीरा अदि) होते हैं ।
बचे हुये विभिन्नांश जो मायाधीन हैं, जिन्होंने अभी सम्बन्ध का ज्ञान नहीं माना और भगवान् के शरणापन्न नहीं हुये, इनको साधना भक्त्ति करनी है॥
-......जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
बचे हुये विभिन्नांश जो मायाधीन हैं, जिन्होंने अभी सम्बन्ध का ज्ञान नहीं माना और भगवान् के शरणापन्न नहीं हुये, इनको साधना भक्त्ति करनी है॥
-......जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
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