तत्वज्ञान हेतु दो हैं गोविंद राधे |
एक गुरु एक वैराग्य बता दे ||
भावार्थ- तत्व-ज्ञान की प्राप्ति में दो ही कारण है | प्रथम सांसारिक विषयों से वैराग्य हो, द्वितीय श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गुरु प्राप्त हो | यदि वैराग्य नहीं है तो गुरु भी तत्व-ज्ञान प्रदान नहीं कर सकता | यदि वैराग्य है परन्तु गुरु प्राप्त नहीं है तो भी तत्व-ज्ञान नहीं होगा |
... गुरु ते ही हरिज्ञान गोविंद राधे |
गुरु बिनु क, ख, ग, घ, ज्ञान ना बता दे ||
भावार्थ- गुरु द्वारा ही श्रीहरि के स्वरूप का सच्चा तत्व-ज्ञान प्राप्त होता है | गुरु के अभाव में तो संसार में क, ख, ग, घ का ज्ञान भी असम्भव है |
श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गोविंद राधे |
गुरु ही ईश्वरीय ज्ञान करा दे ||
भावार्थ- जो गुरु श्रोत्रिय व ब्रह्मनिष्ठ है अर्थात् जिसे वेद-शस्त्र का ज्ञान भी हो एवं भगवत्प्राप्ति भी किये हो, वही ईश्वरीय तत्व-ज्ञान प्रदान कर सकता है |
..................राधा गोविंद गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).................
एक गुरु एक वैराग्य बता दे ||
भावार्थ- तत्व-ज्ञान की प्राप्ति में दो ही कारण है | प्रथम सांसारिक विषयों से वैराग्य हो, द्वितीय श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गुरु प्राप्त हो | यदि वैराग्य नहीं है तो गुरु भी तत्व-ज्ञान प्रदान नहीं कर सकता | यदि वैराग्य है परन्तु गुरु प्राप्त नहीं है तो भी तत्व-ज्ञान नहीं होगा |
... गुरु ते ही हरिज्ञान गोविंद राधे |
गुरु बिनु क, ख, ग, घ, ज्ञान ना बता दे ||
भावार्थ- गुरु द्वारा ही श्रीहरि के स्वरूप का सच्चा तत्व-ज्ञान प्राप्त होता है | गुरु के अभाव में तो संसार में क, ख, ग, घ का ज्ञान भी असम्भव है |
श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गोविंद राधे |
गुरु ही ईश्वरीय ज्ञान करा दे ||
भावार्थ- जो गुरु श्रोत्रिय व ब्रह्मनिष्ठ है अर्थात् जिसे वेद-शस्त्र का ज्ञान भी हो एवं भगवत्प्राप्ति भी किये हो, वही ईश्वरीय तत्व-ज्ञान प्रदान कर सकता है |
..................राधा गोविंद गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).................
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