जब तक माया के अधीन हो तब तक क्यों सोचते हो कि मैं प्रशंसा के योग्य हूँ ! जब तक तुम शरणागत नहीं हुए तब तक तुम्हे अहंकार किस बात का ? किसी भी जीव का वास्तविक स्वरूप श्री कृष्ण दासत्व ही है ! श्री कृष्ण के दास बन जाओ फिर खूब अहंकार करो ! हम छूट देते हैं ! लेकिन उस समय तुम अहंकार कर ही नहीं सकते ! भगवत्प्राप्ति से पहले रहता है अहंकार ! अतः सदा सावधान रहो !
---------जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु।
---------जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु।
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