गुरुधाम सम नहिं और कोउ धामा |
गुरु की शरण जाय, जाय हरि ठामा ||
गुरु-धाम के समान अन्य कोई धाम नहीं | गुरु शरणागति से ही श्री हरि का धाम प्राप्त हो जाता है |
हरि धाम देखा नहिं देखा गुरुधामा |
गुरु सेवा ते ही मिले दिव्य हरिधामा ||
साधारण जीव गुरु-धाम का दर्शन प्राप्त कर सकते हैं | हरिधाम तो बिरले ही प्राप्त करते हैं | गुरु-सेवा के प्रभाव से ही दिव्य-हरिधाम गोलोक की प्राप्ति होती है |
.............. श्यामा श्याम गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).............
गुरु की शरण जाय, जाय हरि ठामा ||
गुरु-धाम के समान अन्य कोई धाम नहीं | गुरु शरणागति से ही श्री हरि का धाम प्राप्त हो जाता है |
हरि धाम देखा नहिं देखा गुरुधामा |
गुरु सेवा ते ही मिले दिव्य हरिधामा ||
साधारण जीव गुरु-धाम का दर्शन प्राप्त कर सकते हैं | हरिधाम तो बिरले ही प्राप्त करते हैं | गुरु-सेवा के प्रभाव से ही दिव्य-हरिधाम गोलोक की प्राप्ति होती है |
.............. श्यामा श्याम गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).............
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