वेद शास्त्र कहे सम्बन्ध,अभिधेय,प्रयोजन ; कृष्ण, कृष्ण-भक्त्ति, प्रेम तिन महाधन ... (गौरांग महाप्रभु)
समस्त्र शास्त्र-वेद केवल तीन बात बता रहे हैं- सम्बन्ध, अभिधेय,प्रयोजन । कृष्ण- ये सम्बन्ध, कृष्ण भक्त्ति- ये अभिधेय,और प्रेम- ये है प्रयोजन। हमारा भगवान् से सम्बन्ध नित्य दासत्व का है, वो हमारा नित्य स्वामी है, हम उसके नित्य दास है।इसलिये हमारा लक्ष्य है- प्रेम प्राप्त करके उनकी सेवा करना, उस प्रेम को प्राप्त करने के लिये अभिधेय है भक्ति । ये तिन महाधन है, महानिधियाँ है॥
-जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
समस्त्र शास्त्र-वेद केवल तीन बात बता रहे हैं- सम्बन्ध, अभिधेय,प्रयोजन । कृष्ण- ये सम्बन्ध, कृष्ण भक्त्ति- ये अभिधेय,और प्रेम- ये है प्रयोजन। हमारा भगवान् से सम्बन्ध नित्य दासत्व का है, वो हमारा नित्य स्वामी है, हम उसके नित्य दास है।इसलिये हमारा लक्ष्य है- प्रेम प्राप्त करके उनकी सेवा करना, उस प्रेम को प्राप्त करने के लिये अभिधेय है भक्ति । ये तिन महाधन है, महानिधियाँ है॥
-जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
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