84 लाख शरीरों में मानव देह ही ऐसा है जिसमें साधना द्वारा मानव , महामानव बन सकता है ! किन्तु साथ ही यह मानव देह क्षणभंगुर है ! अतएव तन,मन,धन,का उपयोग भगवद्विषय में तुरन्त करना चाहिए ! उतिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत ( वेद ), उठो , जागो , महापुरुष की शरण में जाओ एवं अपना लक्ष्य प्राप्त करो !
********जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज*******
********जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज*******
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