मन
जितने समय श्यामसुंदर में लग गया उतने समय संसार से अलग हो गया। जितने
क्षण कोई जीव संसार के चिंतन से बच गया, उतने समय भगवान और गुरु की उसपर
विशेष कृपा समझो। किन्तु भला जीव इस बात को कैसे समझ सकेगा।
"तनुरंग छूटे धोये,गोविंद राधे। श्याम रंग छूटे ना,मन को बता दे"।।
-----श्री कृपालु जी महाप्रभु।
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