जो
मेरी ही शरण में आ जाता है उसके अनन्त जन्म के पाप को नाश कर देता हूँ। तो
फिर पाप पाप की बात क्यों खोपड़ी में लगी है तेरे ? मैं पूर्ण शरणागत के
थोड़े से पापों को नहीं , 'सर्वपापेभ्यो ' समस्त पापों को नष्ट कर देता हूँ
और आगे पाप न करेगा ये ठेका ले लेता हूँ। गारण्टी। लेकिन प्रपन्न होना
होगा। प्रपन्न माने पूर्ण शरणागति यानी मन बुद्धि भी शरणागत हो। अपनी
बुद्धि न लगा....... मन भी मुझे दे दे।
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।
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