भगवान्
को तो शुद्ध मन पसंद है ! अशुद्ध मन से वो प्यार नहीं करते ! समदर्शी बने
रहते हैं अर्थात उनके कर्मों का फल दे देते हैं बस ! जैसे मुन्सिफ होता है ,
इन्साफ करते हैं ! लेकिन गुरु पतितों से प्यार करता है !
..............जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाप्रभु की जय हो ।
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