जिज्ञासु जन !
मानव देह दुर्लभ है किन्तु नश्वर है किसी भी क्षण छिन सकता है । अतएव उधार न करो । तत्काल मन से हरि गुरु का स्मरण प्रारंभ कर दो ।
शरीर से संसारी कार्य करो एवं मन का अनुराग हरि गुरु में हो ।
मन हरि में तन जगत में , कर्म योग ये हि जान तन हरि में मन जगत में , यह महान अज्ञान।
मानव देह दुर्लभ है किन्तु नश्वर है किसी भी क्षण छिन सकता है । अतएव उधार न करो । तत्काल मन से हरि गुरु का स्मरण प्रारंभ कर दो ।
शरीर से संसारी कार्य करो एवं मन का अनुराग हरि गुरु में हो ।
मन हरि में तन जगत में , कर्म योग ये हि जान तन हरि में मन जगत में , यह महान अज्ञान।
**** जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाप्रभु****
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