श्री
महाराजजी से साधक का प्रश्न: बहुत से लोग कहते हैं कि यहाँ (गुरुधाम) में
आने पर दिव्य अनुभव होते हैं। वह अनुभव अगर हमको देर से आते हैं तो क्या वह
चिंता का विषय है?
श्री महाराजजी द्वारा उत्तर: अरे! अनुभव कुछ नहीं,कोई अनुभव खास important नहीं। सबका अनुभव बस यही होना चाहिए कि संसार से प्यार कम हो और गुरु के प्रति भगवान के प्रति प्यार बढ़े--बस यही अनुभव सबसे बड़ा पैमाना है। बाकी अनुभव की चिंता न करो कोई। वह अनुभव तो अंत में होगा,अभी अनुभव कहाँ धरा है?
संसारी मायिक विकार कम हो रहे हैं कि नहीं, हम छोटी-छोटी बात को बहुत फील करते थे,अब बड़ी बात को भी फील कम करते हैं----यह अहंकार कम हुआ इसका मतलब यह हुआ। यह सब हमारा पैमाना है,इससे हम अपने को परखते रहें,और जहां fail हो जाएँ,वहाँ हम फील करें कि भविष्य में fail नहीं होंगे,हम मुक़ाबला करेंगे। हर समय सावधान रहना चाहिए और daily reading चाहिए अपने daily work की, कि आज हमने कहाँ-कहाँ क्रोध किया,क्यों किया? बिना क्रोध के भी तो काम चल सकता था। acting में क्रोध कर देते fact में क्यों किया? इस प्रकार reading होनी चाहिए daily ताकि दूसरे दिन फिर गड़बड़ी कम हो।
श्री महाराजजी द्वारा उत्तर: अरे! अनुभव कुछ नहीं,कोई अनुभव खास important नहीं। सबका अनुभव बस यही होना चाहिए कि संसार से प्यार कम हो और गुरु के प्रति भगवान के प्रति प्यार बढ़े--बस यही अनुभव सबसे बड़ा पैमाना है। बाकी अनुभव की चिंता न करो कोई। वह अनुभव तो अंत में होगा,अभी अनुभव कहाँ धरा है?
संसारी मायिक विकार कम हो रहे हैं कि नहीं, हम छोटी-छोटी बात को बहुत फील करते थे,अब बड़ी बात को भी फील कम करते हैं----यह अहंकार कम हुआ इसका मतलब यह हुआ। यह सब हमारा पैमाना है,इससे हम अपने को परखते रहें,और जहां fail हो जाएँ,वहाँ हम फील करें कि भविष्य में fail नहीं होंगे,हम मुक़ाबला करेंगे। हर समय सावधान रहना चाहिए और daily reading चाहिए अपने daily work की, कि आज हमने कहाँ-कहाँ क्रोध किया,क्यों किया? बिना क्रोध के भी तो काम चल सकता था। acting में क्रोध कर देते fact में क्यों किया? इस प्रकार reading होनी चाहिए daily ताकि दूसरे दिन फिर गड़बड़ी कम हो।
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