श्री
कृष्ण भक्ति के द्वारा ही सुख-शांति प्राप्त हो सकती हैं। श्री कृष्ण
भक्ति प्रचार द्वारा ही निश्चित रूप से विश्व शांति स्थापित हो सकती है।
इसी उद्देश्य से मैंने अपने प्रचारकों को भारत के विभिन्न प्रांतों में तथा
विदेशों में भी भेजा है यद्यपि विदेश जैसा मेरे शब्दकोश में कोई शब्द नहीं
है क्योकि मैं वसुधेव कुटुम्बकम के सिद्धान्त को मानता हूँ। फिर भी भारत
के प्रति विशेष अनुराग होना स्वाभाविक ही है। गायन्ती देवा: किल
गीतकानी,धन्यास्तु ये भारत भूमि भागे।।
जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के श्रीमुख से........!!!
जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के श्रीमुख से........!!!
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