जब
तक माया के अधीन हो तब तक क्यों सोचते हो कि मैं प्रशंसा के योग्य हूँ ।
जब तक तुम शरणागत नहीं हुए तब तक तुम्हे अहंकार किस बात का ? किसी भी जीव
का वास्तविक स्वरूप श्री कृष्ण दासत्व ही है । श्री कृष्ण के दास बन जाओ
फिर खूब अहंकार करो । हम छूट देते हैं ।लेकिन उस समय तुम अहंकार कर ही नहीं
सकते। भगवत्प्राप्ति से पहले रहता है अहंकार। अतः सदा सावधान रहो।
-------जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाप्रभु।
-------जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाप्रभु।
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