संसार
सम्बन्धी तन-मन-धन कम से कम 'उपयोग' करो, 'उपभोग' नहीं | जितने में काम चल
जाये बस उतना, उससे अधिक नहीं । जितने में पेट भर जाये- दो रोटी, चार रोटी
से, बस तुम उतने के हकदार हो हमारी सृष्टि से । भगवान कह रहे हैं | इससे
अधिक इकट्ठा किया,कब्जा किया तो मरो, फिर हम बतायेंगे कि क्या होगा
तुम्हारा । 'सस्तेनो दण्डमहरति' उसको दण्ड मिलेगा मरने के बाद और सामान भी
यहीं रखा जायेगा । तो उसने कमा करके बेटे को दे दिया पचास करोड़, अब बेटा
आवारा होगा, और बाप को भी नरक मिलेगा। तुमने परमार्थ कितना किया ? अपने
शरीर पर कितना खर्च किया, बाल बच्चों पर कितना किया परमार्थ में कितना किया
? हिसाब बताओ ।
------जगद्गुरू श्री कृपालु जी महाराज।
------जगद्गुरू श्री कृपालु जी महाराज।
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