संसार
के लोगों को एक बहुत बड़ी भ्रान्ति है। वो यह कि लोग हमारे अनुकूल हैं,
हमसे प्रेम करते हैं। लेकिन मैं चैलेंज के साथ कह सकता हूँ की विश्व की एक
भी स्त्री अपने पति के सुख के लिए उससे प्यार नहीं कर सकती। विश्व का कोई
भी पति अपनी स्त्री के लिए प्यार नहीं कर सकता। भावार्थ यह की जब स्त्री
पति ही एक दूसरे के लिए प्यार नहीं करते तो और लोग क्या करेंगे। सब एक
दूसरे को धोखा दे रहे हैं,और ये नहीं समझते कि जैसे हम इसको धोखे में रखे
हैं,ऐसे ही सामने वाला भी हमसे धोखा कर रहा है।
आप लोग कहेंगे की हमारी स्त्री तो हमसे बड़ा प्यार करती है। बस यही तो धोखा है आप लोगों को,जब तक जीव अपना वास्तविक आनंद प्राप्त न कर लेगा, यह असंभव है कि कोई किसी के सुख के लिए लिए कुछ करे।अरे करना तो दूर सोच तक नहीं सकता,संसार का सब प्यार स्वार्थ आधारित है। स्वार्थ कम,प्यार कम,स्वार्थ अधिक प्यार अधिक,और स्वार्थ हानि ज्यादा हो तो गोली मार देता है बेटा माँ को,स्त्री पति को........!
आप लोग कहेंगे की हमारी स्त्री तो हमसे बड़ा प्यार करती है। बस यही तो धोखा है आप लोगों को,जब तक जीव अपना वास्तविक आनंद प्राप्त न कर लेगा, यह असंभव है कि कोई किसी के सुख के लिए लिए कुछ करे।अरे करना तो दूर सोच तक नहीं सकता,संसार का सब प्यार स्वार्थ आधारित है। स्वार्थ कम,प्यार कम,स्वार्थ अधिक प्यार अधिक,और स्वार्थ हानि ज्यादा हो तो गोली मार देता है बेटा माँ को,स्त्री पति को........!
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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