Wednesday, April 2, 2014

मैं सदा तुम्हारा हूँ..........!!!
मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ। ऐसा कभी न सोचो। मैं सदा शरणागत के पास रहूँगा।
गुरु हमारे अत्यंत निकट हैं,दिन रात हमारे साथ रहते हैं । उनका वियोग कभी होता ही नहीं। नरक में भी वे हमारे साथ रहते हैं और बैकुंठ में भी वे हमारे साथ रहते हैं। वे हमारा साथ छोड़ देंगे ऐसा कभी नहीं समझना चाहिए। समझना ही नहीं --- अनुभव करना चाहिए।
हरि-गुरु को सदा साथ मानो इससे कामादि दोष जायेंगे। इष्टदेव एवं गुरु को सदा सर्वत्र अपने साथ निरीक्षक एवं संरक्षक के रूप में मानना है। कभी भी स्वयं को अकेले नहीं मानना है।

भवदीय
जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।

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