कोई हो #पापात्मा हो, #पुण्यात्मा हो,स्त्री हो, पुरुष हो, नपुंसक हो,जो भी मुझसे #प्यार कर ले। कुछ भी मान के प्यार कर ले। फिर कोई #कर्म करे,उसको #पाप #पुण्य छू नहीं सकता।और #अर्जुन!अगर कोई ये सोचे कि मैंने तो #शास्त्र-#वेद पढ़ा नहीं, नहीं तो मैं जल्दी #भगवत्प्राप्ति कर लेता।
अरे—नाहं वेदैर्न तपसा न दानेन न चेज्यया।
अरे—नाहं वेदैर्न तपसा न दानेन न चेज्यया।
मैं #वेदाध्ययन वगैरह से,पण्डिताई से नहीं मिलता। उससे तो और दूर हो जाता हूँ।क्योंकि उसमें #अहंकार हो जाता है।
भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन।
(११-५३, ११-५४)
(११-५३, ११-५४)
केवल #भक्ति से मिलता हूँ।
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